क्या आप जानते हैं झांसी की रानी (jhansi ki rani) की पूरी जीवनी

jhansi ki rani



In 1842, she was married to the Maratha-ruled King Gangadhar Rao Navalkar of Jhansi and she became the queen of Jhansi. After marriage, he was named Laxmibai. In 1851, Rani Lakshmibai gave birth to a son. ... Raja Gangadhar Rao died on 21 November 1853 after adopting a son.

रानी लक्ष्मीबाई jhansi ki rani प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान सेनापति थीं। इनका बचपन का नाम मनुबाई था। इनका जन्म 19 नवंबर, 1835 ई० को वाराणसी में हुआ था। झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई पड़ा। लक्ष्मीबाई के पिता ब्राह्मण थे। उनकी माँ बहादुर एवं धार्मिक थीं। रानी की माँ उन्हें मात्र 4 वर्ष की आयु में ही छोड़कर स्वर्ग सिधार गई थीं।

रानी लक्ष्मीबाई jhansi ki rani ने बचपन में ही घुड़सवारी, तलवार और बंदूक चलाना सीख लिया था। विवाह के पश्चात् सन् 1851 में रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, परंतु दुर्भाग्यवश वह मर गया। उस समय उसकी उम्र मात्र 4 महीने थी। फिर रानी ने एक पुत्र गोद लिया। उन्होंने उस दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा। परंतु अंग्रेजों को यह अच्छा नहीं लगा कि रानी लक्ष्मीबाई का दत्तक पुत्र दामोदर राव उनके सिंहासन का कानूनी वारिस बने। क्योंकि झाँसी पर अंग्रेज स्वयंशासन करना चाहते थे। इसलिए अंग्रेज़ों ने कहा कि झाँसी पर से रानी लक्ष्मीबाई का अधिकार खत्म हो जाएगा, क्योंकि उनके पति महाराजा गंगाधर का कोई उत्तराधिकारी नहीं है। और फिर अंग्रेजों ने झाँसी को अपने राज्य में मिलाने की घोषण कर दी। इसी बात पर अंग्रेज़ और झाँसीवासियों के बीच युद्ध छिड़ गया।

रानी लक्ष्मीबाई jhansi ki rani झाँसी छोड़ने को तैयार नहीं थीं। वह देशभक्ति और आत्म-सम्मान की प्रतीक थीं। इसी बीच सन् 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया। रानी लक्ष्मीबाई युद्ध-विद्या में पारंगत थीं। वह पूरे शहर को स्वयं देख रही थीं। रानी ने पुरुषों का लिबास पहना हुआ था। बच्चा उनकी पीठ पर बंधा हुआ था। रानी ने घोड़े की लगाम मुँह से पकड़ी हुई थी और उनके दोनों हाथों में तलवारें थीं। अतः उन्होंने अंग्रेजों के समक्ष आत्म-समर्पण नहीं किया और अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया।

अन्य राजाओं ने उनका साथ नहीं दिया। इस कारण वे हार गईं और उन्होंने झाँसी पर अंग्रेज़ों का कब्जा हो जाने दिया। इसके बाद काल्पी जाकर उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा। नाना साहब और तांत्या टोपे के साथ मिलकर रानी ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। महारानी लक्ष्मीबाई घुड़सवार की पोशाक में लड़ते-लड़ते 17 जून, 1858 को शहीद हो गईं। यदि जिवाजी राव सिंधिया ने रानी लक्ष्मीबाई से छल न किया होता तो भारत 100 वर्ष पहले 1857 में ही अंग्रेजों के आधिपत्य से

Do you know Full biography of jhansi ki rani

क्या आप जानते हैं झांसी की रानी (jhansi ki rani) की पूरी जीवनी क्या आप जानते हैं झांसी की रानी (jhansi ki rani) की पूरी जीवनी Reviewed by Enewz Worldz on सितंबर 02, 2019 Rating: 5

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